Wednesday, 19 April 2017

movie review



 BATTLE FOR SCHOOL
 BY SHANTA SINHA
दिनांक:- 27/जनवरी/2017
सारांश
हमारे देश में लाखो बचचे अपनी गरीबी दशा के कारण स्कूल नही जा पाते |गरीब परिवारों में गरीब दशा के कारण परिवार के सभी सदस्यों को काम करना पड़ता है |चाह्हे वेह किसी भी उम्र या लिंग के क्यों न हो, बस वेह अपने परिवार को सहारा देना चाहते है  | अधिकतर बचे टो खुद ही पढाई छोड़ कर काम में लग जाते है | लकडियो की पढाई टो यह सोचकर रोक दी जाती ही की , उन्हें तोह घर का काम ही करना है हमेशा ,वेह तो केवल घर के काम के लिए बनी  होती है |जेसे –खाना पकाना , कपडे धोना , पानी भरना  आदि|
कुछ गरीब परिवारों में तो, चूडियो के कारखानों में , बुनकर कार्यर्यालो जेसी जगहों में काम करने की परंपरा होती है| जबकि  इन जगहों में जान का बहुत खतरा बना रहता है |और इन जगहों पर काम करने में जान का खतरा बना रहता है | किन्तु इनकी अशिक्षा के चलते इनलोगों को ऐसे ही कामो में लग्न होता है |
यदि इन बचो से यह पुचा जाए की तुम लोग पड़ते लिखते क्यों नही हो टो वेह कहते है” की गरीब आदमी ये सब काम नही करेगा टो और क्या करेगा | हमारे पास कोई चारा भी टो नही है |”
गावो में  तो इन लोगो की और भी ज़यादा बुरी दशा देखने को मिलती है , क्योकि वहा तोह ज़मींदार, बन्यो, लालाओ को दबदबा होता है | जो गरीब लोगो को बहुत परेशां करते है |

अभिभावकों की स्कूलों को लेकर मांग
अधिकतर गरीब अभी भावक अपने बचो को इशी लिए  स्कूल नही भेज अपाते क्युकी उनके पास अपने बचो को खिलने के ही पैसे नही होते , वेह अपने बच्चो की पढाई का खर्चा केसे निकालेंगे | सरकारी स्कूल में टो नाम मात्र पढाई होती है | वहा बचे केवल कहने के लिए स्कूल जा ते है |

किन्तु  सरकार द्वारा चलाए  जा रहे मुफ्त शिक्षा के तहत , काफी शिक्ष की स्थिति में बदलाव हो रहे है | लोगो में शिक्षा के प्रति  जागरूकता आरही है  तथा यह प्रयास गैर सरकारी संगठनों द्वारा भी करे जा रहे है | गरीब बच्चो को शिक्षित करने के प्रयास चल रहे है जिसमे कई भारतीय व गैर भारतीय देश शम्मिल है ,जेसे teach for  india, स्माइल संगठान आदि|

सामूहिक चर्चा

छात्रों का परिक्षण लेने के लिए मोखिक परीक्षा लेनी अधिक लाभदायक होती है |जिससे उनका IQ मान पता चल जाता है |उद्धरण- किसी बच्चे का I Q लेवल 5 वी कक्षा का है और उसके अभिभावक उसे 8 वी कक्षा में पढ़ना कहते है टो उससे हम उसका मोखिक परीक्षा लेकर उसको मापना आसान होगा |बच्चो को केवल शिक्षा ही नही सब कुछ सिखाती अपितु बच्चे अपने आस पास के परिवेश से भी बहुत कुछ सीखते है |
कुछ निजी स्कूलों में अन्य क्रियाए  कराकर , बच्चो का बोधिक विकास करने के प्रयास किये जाते है |वेह अपनी कशाव में ICT का प्रयोग करा कर  और उन्हें खेलो में लगा कर उनका पूर्ण विकास करने के प्रयास करे जाते है |उनकी कक्षों में एयर कंडीशन लगे हुए होते है , जिसके लिए बच्चो से काफी साडी फ्फेसे भी वसूली जाती है |
गरीबो के साथ हो रही दुर्दशा
बदती स्कूलों में फीसो के कारण   गरीब अभिभावक अपने बचो को स्कूल जाने से रोकते है |लडकियों के माता पिता टो सोचते है की लडकियों की शिक्षा पर खर्चा करना तो बेकार है |पहले उन्हें पढाओ फिर उनको शादी पर खर्च करो , वेह लडकियों को केवल एक बोझ ही समझते है |
स्कूलों के लिए युद्ध की शुरुवात
अब समय है की गरीब अभिभावकों की सोच बदलनी  चहिये | यह गरीब अमीर और लिंग भेद खतम करने का , ताकि लोगो की  स्थिति को सुधार अ सके | इस के लिए  सरकार का प्रयास  काफी हद तक सफल हो रहा है |तथा सरकार अपनी तरफ से काफी प्रयास कर रही है | सरकार की नीतियों के चलते  EWS कोटा   में  गरीब लोग भी अपने बच्चो  को  नीजी स्कूलों में वह उच्च  शिक्षा देना सफल हो गया है |जिससे गरीब वर्ग की स्थिति में बदलाव अ रहा है |और अभिभावकों को लडकियों की शिक्षा को भी सुधारना चाहिए |





श्री अरबिंदो आश्रम ट्रस्ट
दिनांक:- 27/जनवरी/2017
सारांश,
      इस फ़िल्म में दो लोगों के बीच वार्तालाप दिखायी गयी है जिसके माध्यम से वह भारत के बारे में गीतों के माध्यम से चर्चा कर रहे है और उसकी स्थिति को बता रहे है कि भारत क्या है और उसे क्या समझा जाता है और उसकी स्थिति कैसी है और आने वाले कल में भारत का भविष्य कैसा होगा । इस फ़िल्म के माध्यम से वह हमारे जीवन में व्याप्त बाह्य आडंबर और कुरीतियों की बात करते है कि किस प्रकार भारत देश स्वतंत्र होने के बावजूद जहाँ सभी को समान समझने की बात की जाती है वहाँ आज भी स्त्रियों को पराधीन ही समझा जाता है हमारा भारत पुरुष प्रधान है जहाँ आज भी बिना पुरुष के इजाज़त एक पत्ता तक नहीं हिलता है यह समाज पैतृक सत्तात्मक है जहाँ पिता से ही वंश चलता है स्त्री यहाँ कुछ भी नहीं समझी जाती और जहाँ की स्थिति ऐसी हो वहाँ का भविष्य कैसा होगा उसका तो वैसे ही अंदाज़ा लग जाता है इसी पर व्यंग्य करते हुए उस पर कहा जाता है कि यह भव्य भारत माता है वह सत्य की बात करते है और भारत माता की महिमा का बखान करते है वह बोलते है कि विश्व का भविष्य भारत पर ही टिका हुआ है एक यही वह देश है जो अध्यात्म की बात करता है यह परिवार पर विश्वास करती है और मानवतावाद की बात करते है । वह बताते है कि यह धर्मनिरपेक्ष देश है जहाँ सभी धर्मों के लोग रहते है और इसे कभी भी किसी देश की कमज़ोरी भी बनाना चाहिए बल्कि यह तो हमारे लिए गेव की बात है वह कहते है कि भेदभाव नहीं करना चाहिए । ऊँच-नीच जैसी कोई चीज़ नहीं होनी चाहिए । भारत शक्ति की बात करते है ।
सामूहिक चर्चा,
           भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है जहाँ सभी धर्मों के लोग रहते है और यदि देखा जाए तो यहा पर भेदभाव भी बहुत देखने को मिलता है और यही बात वह अपने गीतो के माध्यम  बताना चाहते है यदि देखा जाए तो यह भेदभाव ही है जिसने भारत माता को खोखला कर दिया है हमारा देश पुरुष प्रधान देश है जहाँ सिर्फ़ और सिर्फ़ पुरुषों की ही चलती है हमारे देश को आज़ाद हुए कई वर्ष हो गएलेकिन आज भी महिलाओं को स्वतंत्रता नहीं है और आज भी ऊँच नीच का भेदभाव समाज में विद्यमान है अगर ऐसा ही चलता रहा तो हमारा देश कभी भी उन्नति नहीं कर पाएगा और बाह्य आडंबर, कर्मकांड, कुरीतियों तथा अंधविश्वास में ही पड़ा रह जाएगा यह ऊँच-नीच का भेदभाव ही है जिसने समाज को पिछाड़ दिया है और यह जो लोगों की पुरुष प्रधान सोच है जिसने कभी स्त्रियों को आगे ही नहीं बढ़ने दिया है और न ही बढ़ने देगी । जब रक लोगों की सोच नहीं बदलेगी तब तक कुछ नहीं हो सकता । हमारे देश का भविष्य ऐसा ही रहेगा इसलिए हमें अपनी सोच को बदलना होगा ।



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