पाठ्य सहगामी क्रियाएं
पाठ्य
सहगामी
क्रियाएं
छात्र
जीवन
के
लिए
महत्वपूर्ण
है
और
इन्हीं
के
माध्यम
से
छात्र
अपनी
प्रतिभा
को
सभी
के
सामने
ला
पाता
है।
शिक्षा
समाज
में,
समाज
के
द्वारा
समाज
के
लिए
दी
जाती
है।
शिक्षक
और
समाज
का
घनिष्ठ
संबंध
है।
शिक्षा
समाज
में
परिवर्तन
लाने
का
सार्थक
एवं
सशक्त
साधन
है।
शिक्षा
की
प्रक्रिया
के
द्वारा
ही
नए
युवकों
में
ऐसे
गुणों
का
विकास
किया
जा
सकता
है
जो
स्वस्थ
समाज
के
लिए
वांछनीय
है।
बालक
के
सर्वांगीण
विकास
हेतु
निम्न
पक्षों
के
विकास
आवश्यक
है-
शारीरिक,
मानसिक,
सामाजिक
और
भावात्मक
विकास
।
पाठ्यक्रम
के
अंतर्गत
विद्यालय
के
विषयों
के
शिक्षण
में
छात्रों
के
ज्ञानात्मक
पक्ष
का
विकास
अधिक
होता
है।
लेकिन
भावात्मक
और
क्रियात्मक
पक्षों
का
विकास
नहीं
हो
पाता
इसलिए
इन
पक्षों
के
विकास
के
लिए
पाठ्य
सहगामी
क्रियाओं
का
सहारा
लिया
जाता
है।
विद्यालयों
में
आज
हम
इन
क्रियाओं
को
शिक्षा
पद्धति
का
महत्वपूर्ण
अंग
स्वीकार
करते
हैं
।
पाठ्यक्रम
का
आज
जब
विकसित
अर्थ
लिया
जाता
है
तो
समुचित
विकास
के
लिए
इन
सहगामी
क्रियाओं
को
पाठ्यक्रम
में
उचित
स्थान
देना
आवश्यक
है।
पाठ्य
सहगामी
क्रियाएं
छात्रों
को
अच्छा
नागरिक
बनने
का
प्रशिक्षण
देती
हैं
।
ऐसी
गतिविधियाँ
विद्यार्थियों
को
स्कूल
में
व्यस्त
रखती
है।
पाठ्य
सहगामी
क्रियाएं
शिक्षण
में
श्रेष्ठ
स्थान
रखती
है
और
विद्यार्थियों
के
सर्वांगीण
विकास
में
पूरा-पूरा
योगदान
देती
है।
इनमें
शामिल
होकर
छात्र
अपने
गुणों
की
क्षमता
से
आगे
निकलकर
विकास
करता
है।
उनमें
आत्मनिर्भरता
आती
है।
वे
किसी
भी
कार्य
को
पूर्ण
करने
के
लिए
सक्षम
बनते
है।
पाठ्य सहगामी क्रियाएं की उपयोगिता
·
इनसे छात्रों में नागरिक के गुणों के विकास हेतु अवसर प्रदान किया जाते है।
·
छात्रों में नेतृत्व के गुणों का विकास होता है।
·
छात्रों को नवीन प्रकार की अभिरुचियों के विकास के लिए अवसर मिलते है।
·
पाठ्य सहगामी क्रियाओं के अंतर्गत छात्रों में समाजीकरण होता होता है।
·
इन गतिविधियों के माध्यम से बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है।
·
सभी को अपनी प्रतिभा दिखाने के समान अवसर मिलते है।
·
किसी भी गतिविधि के दौरान विद्यार्थियों में आपस में सामाजिक अंतर्क्रिया होती है, जिनसे उन्हें आपस में बहुत कुछ सीखने के अवसर प्राप्त होते है।
·
विद्यार्थियों में आत्मविश्वास का विकास होता है।
·
उनमें पारस्पारिक सहभागिता का विकास होता है ।
·
उनमे सीखने की रूचि उत्पन्न करता है ।
·
समूह अधिगम में सहायक होता है ।
`
ACTIVITIES
1.
DATE:
3/04/2017
ACTIVITY: QUIZ
COMPETITION
आज हमने अपने स्कूल में परीक्षक प्रतियोगिता का आयोजन किया जिसमे हमने १० वी कक्षा के छात्त्राओ से सभी विषयों से प्रश्न पूछे गए | जिसमे हमने कक्षों की छात्राओं को दो
भागो में विभाजित कर दिया था जिसमे एक समूह अ और दूसरा समूह ब था | इन दोनों ही
समूह से हमने कुछ प्रश्न पूछे और बारी-बारी दोनों ही समूह से सवाल किये गए दोनों
ही समूह ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया | और दोनों समूह का जवाब देने का तरीका बहुत अच्छा
था और वः सवाल को बहुत ध्यान से सुन रहे थे उसके बाद जवाब दे रहे थे | इस
प्रतियोगिता में समूह ब विजेता हुआ | और यह निर्णय सभी को स्वीकार्य था फैसला
निक्ष्पक्ष था और सभी लोग इस फैसले से खुश थे | और सभी छात्र इसमें भाग ले रहे थे
और सभी छात्रों को प्रतियोगिता में आन्नद आया | सभी ने एक दुसरे के साथ सहयोग करना
सीखा |
1st---- B
2nd----A
2.
date: 06/04/2017
MATKI COMPETITION
हमने 7 वी कक्षा के
बचो में मटका प्रतियोगिता कराई जिसमे सभी बचो ने बढ चढ़ कर भाग लिए वह बहुत खुश थे बछो के ऐसे कार्यो में बहुत मज़ा आता है |यह
आयोजन दो घंटे का था जिसमे हमने बछो से मटकिया घर से लेन को कहा था और स्कूल में
उन्हें सजाने का कार्य दिया |
सभी छात्राओं ने बहुत आचे आचे मटके सज्जे जिसमे
प्रथम, सदफ को पुरस्कार दिया गया |
1st---- sadaf
2nd----komal
3rd----rita
निष्कर्ष
जैसे की हम जानते है
की cce का उपयोग स्कूलों में हो रहा है |जिसे बच्चे अद्यात्मिक के साथ पाठ सहगामी क्रियाए भी सीखते है |
जिससे बच्चो को पूर्ण विकास होता है |उनके पाठ से जुडी हुई क्रियाए है |
हमने भी स्कूल में देखा की बचो को ये क्रियाए करने में बहुत रुचि है कित्नु उनपर अधिक भार है ,
उन्हें अध्यात्मिक के साथ इन चीजों में समय व्यर्थ करते है | जीके करान वेह
अध्यात्मिक शिक्षा पर प्रभाव डालता है | कम समय होने के कारण वह अपने कार्यो को औरो से बनव कर ले आते है | अधिकतर छात्र अपने कार्यो को अपने अभिभावकों से कर व कर ले आते है |जो उनके
लिए अची बात नही है | cce का मुख्य प्राण बच्चो को सभी कार्यो में सक्षम बनाना है |
जो पूर्ण रूप से सफल नही हो पाता | इसके सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव हो
सकते है |जो की इस प्रकार है |
सकारात्मक :-
यह छात्रों में अधिक रूचि दिलाता है | इसके द्वारा
छात्रों को अपनी रूचि व जिसमे रुचि नही है, उनका पता चलता है |जिसके आधार पर वेह
अपने भविष्य की कामना कर सकते है | अध्यापक भी उनकी रूचि व इचचो के अनुसार पढ़ता है | साथ ही साथ वह अच्छे समाज के लिए तैयार होते है |छात्रों में पूर्ण विकास होता है
|
नकारात्मक:-
इसके साथ साथ इसका नकारात्मक प्रभाव यह
है की छात्रों में अध्यात्मिक विकास इतन
नही हो पर है | बच्चे खेल में अधिक रूचि लेते है | यह अधिक खर्चीली प्रक्रिया है |
वेह छात्र जो आर्थिक रूप से कमज़ोर है वह यह क्रियआए कर पाने में असक्षम होते है |बच्चो
में भेद भाव की स्थिति बन जाती है |यहाँ तक की जो बच्चे इन क्रियाओं में इचुक
न्हीबोते उन्हें भी ये सभी क्रियाओं में भाग लेना होता है | उनपर इसका अधिक भार बड
जाता है |
यदि हम स्कूल की बात करे तो स्कूलों
में इन कार्यो के लिए, यह सब सम्मान उपलब्ध
नही है |इन कार्य में अधिक समय व्यर्थ होता , यह लम्बी प्रक्रिया
होती है , जिसकी वजह से स्कूल में अधिक समय लगता है और अन्य कार्यो के लिए ज्यादा
समय नही मिलता|
इसके चलते हम यह कह सकते है की, cce
में कुछ परिवर्तन करने ज़रूरी है |
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